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आयुर्वेद - बेहतर भविष्य का विकल्प

बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S.))

बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S.)) भारत में चिकित्सा की एक डिग्री है। यह १२वीं कक्षा के बाद साढ़े पाँच वर्ष की अवधि में पूरी की जाती है, जिसमें एक वर्ष का इंटर्नशिप भी सम्मिलित है। बीएएमएस का डिग्रीधारी व्यक्ति भारत में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकता है। इस पाठ्यक्रम में शरीररचना विज्ञान, शरीरक्रिया विज्ञान, चिकित्सा के सिद्धान्त, द्रव्यगुण, रोगों से बचाव, रसशास्त्र, विषविज्ञान,अगद तंत्र , कान-नाक-गले की चिकित्सा, आँख की चिकित्सा, शल्यक्रिया के सिद्धान्त, कायचिकित्सा, पंचकर्म, स्त्रीरोग, बालरोग आदि का पठन-पाठन होता ही है इसके साथ ही मोर्डेन मेडिसिन जैसे एनाटोमी, फिजियोलॉजी, फर्माकोलोजी, फोरेंसिक चिकित्सा, सर्जरी, पैथोलॉजी,आदि की भी शिक्षा दी जाती है।

आयुर्वेद (आयुः + वेद = आयुर्वेद) विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञानं , कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्वेद विज्ञान एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है भगवान धन्वन्तरी जी को आयुर्वेद का जनक माना जाता है तथा महिर्षि सुश्रुत को सर्जरी का जनक कहा जाता है। आयुर्वेद के आचार्य ये हैं— अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त्य, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जतुकर्ण, पराशर, सीरपाणि, हारीत), सुश्रुत और चरक। ब्रम्हा ने आयुर्वेद को आठ भागों में बाँटकर प्रत्येक भाग का नाम 'तन्त्र' रखा । ये आठ भाग निम्नलिखित हैं - १) शल्यतन्त्र (surgical techniques),२) शालाक्यतन्त्र (ENT),३) कायचिकित्सा (General medicine) ,४) भूतविद्या तन्त्र (Psycho-therapy),५) कुमारभृत्य (Pediatrics),६) अगदतन्त्र (Toxicology),७) रसायनतन्त्र (renjunvention and Geriatrics), और८) वाजीकरण (Virilification, Science of Aphrodisiac and Sexology)।

भारत में इस आयुर्वेदिक उपचार को काफी महत्व दिया जा रहा है। जिससे न केवल रोग ठीक होता है बल्कि व्यक्ति का उपचार भी होता है। यह उपचार पंचकर्म द्वारा किया जाता है। इस उपचार पद्धति में बढ़ती रुचि ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों की मांग बढ़ा दी है आयुर्वेदिक दवाई निर्माता कंपनियों की संख्या में इजाफा और विदेशों में भी इसका प्रचलन इस क्षेत्र में रोजगार के नये आयाम खोल रहा है। देश में प्रत्येक नागरिक अस्पताल में कम से कम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में आयुर्वेद में स्नातक कर रहे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है।

भारत में आयुर्वेदिक शिक्षा आयुष मंत्रालय एवं सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा संचालित की जाती है। आयुर्वेद में साढ़े पांच साल का पूर्व स्नातक कोर्स करने के बाद बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री दी जाती है। भारत के आयुर्वेदिक कॉलेज स्नातक स्तर पर आयुर्वेदाचार्य या बीएएमएस की डिग्री प्रदान करते हैं। BAMS में आप एडमिशन तभी ले सकते हैं, जब आपने सरकार द्वारा निर्धारित परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर ली हों। BAMS में एडमिशन लेने के लिये सरकार द्वारा कुछ योग्यताएं भी निर्धारित की गयी हैं। जिसका विवरण निम्न प्रकार है -

  • 12th कक्षा में आपके पास बायोलॉजी का होने अनिवार्य है।
  • सरकार द्वारा आयोजित की गयी NEET की परीक्षा में पास होना अनिवार्य हैं।
  • 12th कक्षा में आपके 50% न्यूनतम अंक होने चाहिये।
  • आयुर्वेद की तरफ युवाओं को आकर्षित करने के लिये सरकार द्वारा विद्यार्थीओ को स्कालरशिप भी दी जाती हैं।
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    आयुर्वेद नर्सिंग में डिप्लोमा (Nursing (Ayush))

    पश्चिम के साथ-साथ भारत में आयुर्वेदिक उपचार में रुचि रखने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि के साथ, आयुर्वेदिक स्पा उद्योग तेजी से बढ़ने लगा है। हालांकि बहुत सारे युवाओं ने इसे एक आकर्षक कैरियर विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है, लेकिन उद्योग को हर साल योग्य कार्यबल खोजने में मुश्किल हो रही है। डिप्लोमा कोर्स क्वालिटी नर्स और थेरेपिस्ट को वितरित करके उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए है।

    आयुर्वेदिक विज्ञान, यूपी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त "डिप्लोमा इन आयुर्वेद नर्सिंग" प्रदान कर रहा है।

    आयुर्वेदिक फार्मेसी में डिप्लोमा (D. Pharma(Ayush))

    आयुर्वेद चिकित्सा का क्षेत्र है जो पिछले कुछ वर्षों से प्रमुखता से बढ़ रहा है। एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में आयुर्वेद युवा उम्मीदवारों के लिए अवसर का एक ढेर देता है जो आयुर्वेद के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की इच्छा रखते हैं। आयुर्वेदिक फार्मेसी में डिप्लोमा उम्मीदवारों को बीमारी का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न दवाओं और तकनीकों के बारे में गहराई से जानने के लिए एक मंच देता है। यह कार्यक्रम फार्मेसी के साथ संयोजन के रूप में आयुर्वेद का एक एकीकृत अध्ययन है।

    आयुर्वेदिक फार्मेसी पाठ्यक्रम में डिप्लोमा उम्मीदवारों को आयुर्वेदिक दवाओं के रासायनिक गुणों, अनुपात, संरचना और उस राशि के बारे में जानने में सक्षम बनाता है जिसमें इसे रोगियों द्वारा लिया जाना चाहिए। वे आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों और विभिन्न बीमारियों के इलाज में इसके उपयोग से प्रेरित हैं। यह उन लोगों के लिए एक मजबूत आधार बनाता है जो स्नातक और परास्नातक जैसे क्षेत्र में उच्च योग्यता हासिल करना चाहते हैं। चूंकि यह पाठ्यक्रम 12 वीं कक्षा के बाद के उम्मीदवारों द्वारा चलाया जा सकता है, यह कार्यक्रम विषय के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है।

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